2 साल के बच्चों को सिखाएं इन गतिविधियों के जरिये – Top Learning Activities for 2 Years Old Toddler in Hindi

By Editorial Team|5 - 6 mins read| October 29, 2020

दो साल के बच्चे न तो बेहद छोटे होते हैं, जिन्हें हर वक्त माता-पिता का हाथ पकड़ कर बैठना पसंद होता है और न ही इतने बड़े कि वे खुद को दिनभर व्यस्त रख सकें। इस उम्र में बच्चों को मोटर स्किल्स तो पहले से बेहतर हो चुकी होती हैं, लेकिन इसके अलावा और सभी कौशल जैसे कि फाइन मोटर स्किल्स, सामजिक कौशल या भाषा का ज्ञान वे सीख रहे होते हैं। ऐसे में घर पर ही बच्चों को कुछ खास गतिविधियों के साथ काफी कुछ सिखाया जा सकता है।

प्री-स्कूल जाने की तैयारी कर रहे बच्चे कई शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक बदलवों से गुजर रहे होते हैं। बच्चों की सीखने की क्षमता इस समय सबसे अधिक होती है और इसी बात को ध्यान में रखते हुए आप कुछ खास गतिविधियों का इस्तेमाल भी कर सकते हैं, बच्चों को और अधिक सिखाने के लिए। बच्चों को सबसे ज्यादा जरूरत होती है, माता-पिता के साथ और उनके सहयोग कि जिनसे वे किसी भी कौशल में निपुणता हासिल कर सकें।

बच्चों को घर पर गतिविधियां कराने के दौरान माता-पिता को इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए कि वे बच्चों से अधिक से अधिक भाषायी संपर्क बनाएं रखें और उनकी कल्पनाओं को और बढ़ाएं। बच्चों के बेहतर विकास के लिए चलिए जानते हैं कुछ ऐसी ही गतिविधियों के बारे में जिन्हें आप आराम से घर पर ही अपने दो साल की उम्र के बच्चों को करा सकते हैं।

इन 5 गतिविधियों के साथ घर ही मिलेगा बच्चों को बेहतर विकास

1. ऑब्स्टेकल रेस

2 साल की उम्र वाले बच्चे छोटे-छोटे दिशा-निर्देश जैसे कि चलो, दौड़ो, कूदो या फिर गिनती आदि को आसानी से समझ सकते हैं। ऐसे में बच्चों के मोटर स्किल्स और उनके शैक्षिक विकास को मिलाकर एक बेहतर गतिविधि है ऑब्स्टेकल रेस। इसमें बच्चों को आप अपने घर पर फर्श पर ही चॉक या रंग से तैयार कर कुछ ऐसी गतिविधियां करा सकते हैं। इसके लिए आप शुरुआत कर सकते हैं फ्रॉग जम्प के साथ जिसके आप लगभग 5 सेट्स रखें। उसके बाद बच्चे को गिनती पर चलने को कहें। फिर एक रेखा पर उन्हें चलाएं, जहां बीच-बीच में कूदने या फिर घूमने की गतिविधि भी शामिल होगी। इस ऑब्स्टेकल रेस को आप चाहें तो अपने घर के अलग-अलग हिस्सों तक फैला सकते हैं।

इनसे आपका बच्चा गिनती, अंग्रेजी के अल्फाबेट्स जैसी चीजों का तो ज्ञान हासिल करेगा, साथ ही उसकी कूदने, दौड़ने जैसी मोटर स्किल्स भी बेहतर होंगी।

2. गुड़िया से खेलना

गुड्डे-गुड़ियों का खेल आज भी बच्चों को बेहद प्यारा होता है। आप चाहें तो आप भी इस खेल में शामिल हो जाएं और बच्चे को उसकी गुड़िया या अन्य  सॉफ्ट टॉय के साथ बात करने के लिए प्रोत्साहित करें। आप एक बार बच्चे के खिलौने से ऐसे बात करें कि जैसे आप बच्चे से करते हैं। फिर आप बच्चे को भी अपने खिलौनों से ऐसे ही बातचीत करने को कहें।

इस गतिविधि के माध्यम से बच्चों में भाषा में काफी सुधार आता है, साथ ही बच्चा अपनी भावनाओं को भी और करीब से देख पाता है।

3. बच्चों को अलग-अलग भूमिकाएं निभाने के लिए प्रेरित करें

आपके घर में अगर दो या इससे अधिक बच्चे हैं तो यह तो बेहद अच्छी बात है। अगर ऐसा नहीं है तो भी आप अपने बच्चे के साथ मिलकर घर पर अलग-अलग किरदारों को अभिनय कर सकते हैं। इसे रोचक बनाने के लिए आप बच्चे को उसकी तरह के कपड़े पहनाएं और उसे कहें कि अब तुम अपनी भूमिका को निभाओ। जरूरी नहीं कि हर बार मम्मी-पापा या टीचर-टीचर ही खेला जाए। आप चाहें तो बच्चे को कभी कोई फल या फिर उसकी पसंद का कोई जानवर बनने को भी कह सकते हैं।

अलग-अलग किरदार निभाने के चलते, बच्चे न सिर्फ काफी रचनात्मक बनते हैं, बल्कि उनकी कल्पनाएं भी साकार रूप लेती हैं और बच्चों का सामाजिक कौशल भी बेहतर होता है।

4. छुप्पन-छुपाई

छोटे बच्चों को छुप्पन-छुपाई खेलने में बहुत मजा आता है। आप छोटे बच्चों के साथ आसानी से यह खेल घर पर भी खेल सकते हैं। अगर आप चाहें तो एक-दूसरे ये छुपने की बजाए आप चीजों या बच्चे के खिलौनों को भी छिपा सकते हैं। छोटे बच्चों के लिए थोड़ा अधिक समय तक ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो जाता है, इसके लिए बेहतर यह है कि आप बच्चों को छोटे-छोटे संकेतों के माध्यम से भी उसके खिलौनों तक पहुंचने में मदद करें। आप चाहें तो फ्लैशलाइट का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।

इस तरह से बच्चों में आपकी बात को सुनने, छोटी-छोटी समस्याओं को हल करने और बातचीत का कौशल भी बढ़ता है।

5. बच्चे के हाथ-पैरों की छाप लें

आप छोटे बच्चों को शांति से बिठाएं और फिर उसके बाद एक खाली कागज पर बच्चों के हाथों और पैरों की छाप लें। आप चाहें तो बच्चे को आराम से लेटा कर एक बड़े कागज पर उनके पूरे शरीर की भी छाप ले सकते हैं। इसके बाद आप बच्चे को इसमें अलग-अलग अंगों को चिन्हित करने को भी कह सकते हैं। अगर सिर्फ हाथ या पैरों की छाप आपके पास हो तो बच्चों को उसमें रंग भरने को कहें।

इससे बच्चों में संयम बढ़ता है, क्योंकि इसके लिए बच्चों को आराम से बैठना या लेटना होता है। इसके अलावा बच्चे इससे अपने शारीरिक अंगों को भी आराम से पहचानना शुरू हो जाएंगे।

बच्चों के लिए बेहद जरूरी है कि वे स्कूल जाने से पहले ही संयम, बातचीत की कला और अपने भावों को अच्छे से समझना सीख लें। इसके लिए आप बच्चों को घर पर ही इन रोचक गतिविधियों के जरिये काफी कुछ सिखाया जा सकता है।


TheParentZ provides Parenting Tips & Advice to parents.

About The Author:

Editorial Team

Last Updated: Thu Oct 29 2020

This disclaimer informs readers that the views, thoughts, and opinions expressed in the above blog/article text are the personal views of the author, and not necessarily reflect the views of The ParentZ. Any omission or errors are the author's and we do not assume any liability or responsibility for them.
Top