बच्चों को सिखाएं आदर करना – 15 टिप्स बच्चों को दूसरों का सम्मान (रिस्पेक्ट) सिखाने के लिए – Teaching your children how to respect in Hindi

By Kusum Lata|7 - 8 mins read| March 24, 2023

प्रीति ने अपने बेटे यश को बड़े लाड़ – प्यार से पाला है। अब वह आठ साल का हो चुका है। बड़े होते – होते उसकी अपनी आदतें विकसित हो चुकी हैं। हर चीज को अपने नजरिए से देखने की समझ उसमें आ रही है। अपनी माँ के साथ वह खूब हँसता – खेलता है, खूब खुश रहता है। फिर भी कई बार माँ की बात नहीं मानता, अपनी मनमर्ज़ी करता है। कई बार छोटी – छोटी बातों पर गुस्सा होकर माँ से तेज आवाज़ में रूखे ढंग से बात करता है और कभी – कभी वह बड़ों से गलत व्यवहार कर बैठता है। इस समय प्रीति को बहुत शर्मिंदगी का अहसास होता है। बहुत से माता – पिता अपने बच्चे के इस बर्ताव से परेशान होंगे। इस तरह बच्चों का माँ – बाप की बात को गंभीरता से न लेना, उनकी बातों को अनसुना कर देना, उन्हें उचित सम्मान न देना वाकई परेशान करने की वजह है क्योंकि अगर अभी से बच्चों में गलत आदत पड़ गई तो इसे सुधारना मुश्किल है। बच्चे का यही बर्ताव किशोरवय यानी टीनेज में अधिक बढ़ सकता है। तो बच्चों को बड़ों का आदर करना कैसे सिखाया जाए, आइए जानते हैं हमारे इस लेख में।

15 टिप्स बच्चों को आदर करना कैसे सिखाया

1. स्वयं बनें बेहतर उदाहरण

बच्चे को अच्छी बातें सिखाने के लिए पहले आपको उन पर अमल करना होगा। जब आप उसके लिए आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करेंगे तभी वह आपकी बात मानेगा और खुद – ब – खुद ही आपसे सभ्य व्यवहार की शिक्षा लेगा। अगर आप किसी से तेज आवाज़ में रूखे ढंग से बात करते हैं या घर में किसी बड़े की बात एक बार में नहीं सुनते हैं तो वह भी ऐसा ही करेगा। आप सभी से प्यार से, आदरपूर्वक बात करते हैं तो वह भी ऐसा ही सीखेगा।

2. बच्चे की मानसिकता समझिए

बड़ा होता बच्चा अपनी रुचि के अनुसार काम करना चाहता है। उसे नहीं पता कि उसके लिए क्या सही है, क्या गलत। अब जबकि आप उसके साथ रोक – टोक करते हैं तो उसे बुरा लगता है और वह आपकी बात न मानकर आपसे रूखा व्यवहार कर सकता है। इसलिए इस समय उसकी मानसिकता समझिए और उसे प्यार से समझाइए। उसकी रुचि के अनुसार भी काम करने दीजिए। बच्चे की जगह खुद को रखकर देखिए। इस समय वह अपने स्वतंत्र अस्तित्व की भावना रखता है।

3. बच्चे के साथ बच्चा बनें

बच्चे के साथ बच्चा बनें, उसका दोस्त बनें। तभी आप बेहतर समझ पाएंगे कि वह गलत व्यवहार क्यों कर रहा है। उसके सुधार के लिए आपको क्या करना चाहिए, यह आप तभी समझ पाएंगे। उसके साथ खेलें, टीवी देखें, पढ़ाई के समय साथ बैठें।

4. प्यार से गलती का अहसास कराएं

अगर बच्चा कोई गलती करता है तो उसे प्यार से उसकी गलती का अहसास कराएं। डांटने – डपटने से वह और चिढ़ जाएगा और आपकी बात नहीं मानेगा। साथ ही आगे से गलती न दोहराने की बात भी समझाएं। बच्चे से झुंझलाकर, गुस्से में बात करने से वह भी तेज आवाज़ में आपको पलटकर जवाब दे सकता है।

5. बड़े होते बच्चे को शुरू से ही अच्छी बातें सिखाएं

बच्चे में शुरू से ही ऐसी आदत डालें कि वह गलत तरीके से बात करे ही नहीं। धीमी आवाज में प्यार से बात करने की आदत डालने के साथ ही बच्चे को बड़ों से पलटकर जवाब न देने की बात भी सिखानी चाहिए। उसको बताएं कि बड़े खासतौर पर माँ – बाप आपकी भलाई की बात करते हैं, उनकी बात माननी चाहिए।

6. गुस्से और झुंझलाहट से काम न लें

आप खुद भी शांत और सौम्य स्वभाव के होंगे तभी बच्चा भी आपको देखकर अच्छे व्यवहार की प्रेरणा लेगा। बच्चे में कोई ख़राब आदत है तो उसे धीरे धीरे ख़तम करने की कोशिश करें। एकदम से उसको बदलने का प्रयास न करें। कोई भी काम पल भर में नहीं हो सकता, थोड़ा समय दें।

7. अच्छे व्यवहार की तारीफ़ करें

जब भी बच्चा किसी से आदर से बात करता है या कोई और अच्छा काम करता है तो उसकी तारीफ़ अवश्य करें। इससे वह आगे भी अच्छे व्यवहार करने को प्रेरित होगा। उसे बताएं कि दूसरों से अपने लिए वह जैसे व्यवहार की उम्मीद करता है, वैसा ही वह उन लोगों के साथ भी करे। अगर वह किसी के साथ बुरा बर्ताव करता है तो खुद भी अपने साथ अच्छे बर्ताव की उम्मीद न करे।

8. भूलकर भी दूसरों के लिए अपशब्द बच्चों के सामने न बोलें

कभी भी बच्चों के सामने दूसरों की बुराई न करें, किसी के लिए अपशब्द न बोलें। क्योंकि उसको अच्छे व्यवहार की असली शिक्षा आपसे ही मिलती है। आप किसी अन्य के लिए गलत कहेंगे तो वह उन शब्दों का प्रयोग आपके लिए कर सकता है। ज्यादातर कोशिश करें कि जब भी आप किसी के बारे में बात कर रहे हैं तो बच्चा वहां न हो।

9. परिवार के सभी सदस्य एकमत रहें

कोशिश करें घर के सभी सदस्य मिलजुल कर रहें, एक बात पर सभी सहमत हों। अगर आप एक दूसरे से बहस करेंगे तो बच्चा भी आपसे ऐसा बर्ताव कर सकता है।

10. एक दूसरे से आदर से बात करें

घर में एक दूसरे को सम्मान दें, बात करते हुए आदर भाव बरक़रार रखें। जब आप ही घर में ऐसे रहेंगे तो बच्चा भी आपका अनुसरण करेगा। आप बड़ों की बात सुनेंगे और मानेंगे तो बच्चा भी आपकी बात कभी टाल नहीं पाएगा।

11. किसी से तुलना न करें

भूलकर भी अपने बच्चे की किसी से तुलना न करें। ऐसा करने से बच्चा चिढ़ कर आपसे अनुचित व्यवहार कर सकता है। उसकी खूबियों की प्रशंसा करें। इससे आपके प्रति उसका नजरिया सकारात्मक होगा। वह आपसे कभी गलत व्यवहार नहीं करेगा और आपकी हर बात मानेगा।

12. एक सीमा तय करें

बच्चे को भरपूर प्यार – दुलार देना अच्छा है लेकिन इन्हें इनकी सीमा का अहसास भी होना चाहिए। सीमा से बाहर जाने पर क्या होगा, इसका डर बच्चे को होना चाहिए। इसलिए इन्हें अपने कड़े रुख का उदाहरण भी दें।

13. हर जिद पूरी न करें

बच्चे के बिगड़ने का सबसे बड़ा कारण है उसकी हर जिद का पूरा होना। अपनी बात मनवाने के लिए वह गलत ढंग से बात कर सकता है। इसलिए उसकी हर जिद पूरी न करें। उस समझाएं कि आप उसकी बेकार की जिद को पूरा नहीं कर सकते।

14. बच्चों को पर्याप्त समय दें

अपने बच्चे को पर्याप्त समय दें। ऐसा न करने पर आपको पता नहीं चलेगा कि बच्चा किस ओर जा रहा है और क्या सीख रहा है। साथ ही अच्छा समय व्यतीत करने से आप बच्चे के और क़रीब हो जाएंगे। उससे दोस्ती कीजिए, हर समय बड़े न बने रहें। उसके मन की बात जानने की कोशिश करें।

15. बच्चे की संगति का ध्यान रखें

बच्चा घर और बाहर किसके साथ अधिक समय रहता है, उसका पूरा ख्याल रखें। संगति का असर बच्चे पर सबसे जल्दी होता है, बच्चा अपने साथ रहने वाले लोगों से बहुत सीखता है। उसकी दोस्ती कैसे बच्चों से है, इसका पूरा ख्याल रखें। इसलिए उसके स्कूल के और अन्य दोस्तों के बारे में पता लगाएं अन्यथा यह लापरवाही आप व आपके बच्चे दोनों पर भारी पड़ सकती है।

समाज में अच्छे इंसान की कितनी अहमियत है, यह बात उसको आसान भाषा में समझाएं। जीवन में सफलता पाने में अच्छे व्यवहार की सबसे अहम भूमिका है, इसका अहसास बच्चे को कराएं। तो इन सब बातों का ध्यान रखकर आपका बच्चा आपका आदर करना सीख जाएगा और एक अच्छा बच्चा कहलाएगा।

यह लेख डॉ. निशा खन्ना, साइकोलॉजिस्ट/फैमिली काउंसलर से बातचीत पर आधारित


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Kusum Lata

Last Updated: Fri Mar 24 2023

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