बच्चों के लिए सभी अच्छी आदतों को सीखाने के साथ जरूरी है कि आप अपने बच्चे को संयम बरतना भी सीखाएं। इससे न सिर्फ वे अपनी पढ़ाई में बेहतर प्रदर्शन दिखा पाएंगे, बल्कि जीवन की भी कई परीक्षाओं में खरे उतरेंगे।
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इंस्टैंट काफी, टेक-अवे, 2 मिनट नूडल्स और 4 जी के जमाने में बच्चों से संयम की उम्मीद करना थोड़ा मुश्किल काम है। लेकिन संयम के बिना बच्चों का आगे बढ़ पाना काफी मुश्किल है। पार्क में किसी झूले के लिए या फिर मंदिर में भगवान के दर्शन के लिए भी बच्चे शॉर्ट कट ढूंढ़ते हैं। लेकिन क्या हर समय शॉर्ट कट काम आते हैं? क्या आपका बच्चा कुछ मिनट पिज्जा के बनने तक इंतजार कर सकता है? या फिर वह तुरंत ही चिल्लाने या रोने लगता है?
अगर आपके सवालों का जवाब नहीं है तो फिर यही सही वक्त है, अपने दो साल या उससे अधिक उम्र के बच्चों को संयम रखने के बारे में बताने का। बच्चों के धैर्य खोने, रोने, चिल्लाने के समय सबसे अधिक जरूरत है तो आपको अपना संयम बनाए रखने की। विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चे तुरंत ही अपना संयम खोने लगते हैं, जब उन्हें उसी वक्त किसी चीज की संतुष्टि नहीं होती। जैसे कि अगर बच्चे को उसका खिलौना उसी समय ना दिया जाए या फिर बच्चे को रोते ही माता-पिता उसे उठाने के लिए पहुंचते।
बच्चों को कैसे सिखाएं धैय बरतना
1. छोटे बच्चों का ध्यान भटकाएं
निश्चित तौर पर छोटे बच्चों के लिए किसी एक जगह या एक स्थिति में रहना काफी मुश्किल है। अगर वे एम्यूजमेंट पार्क में किसी झूले के लिए लंबी कतार में खड़े हैं तो वे बहुत ही जल्दी अपनी बारी आने के लिए परेशान होने लगेंगे। उनसे सब्र नहीं होगा कि कब उनका वक्त आएगा, उन्हें जल्दी है तो सिर्फ उस झूले तक पहुंचने की। उसके बाद क्या होगा, उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
हो सकता है, कि 10 लोगों की कतार के लिए वे 5 मिनट भी रूक न सकें। लेकिन इस उम्र के बच्चों में एक चीज बहुत अच्छी है कि उनका लंबे समय तक किसी भी एक चीज पर ध्यान केंद्रित नहीं रहता। ऐसे में आप चाहें तो आसानी से बच्चे के पसंदीदा विषय पर उसका ध्यान ले कर जा सकते हैं। उसे अपनी बातों में लगाए रखें ताकि लंबी कतार पर उसका ध्यान ही न जाए।
2. बच्चे को स्थिति में बड़ा बनने का मौका दें
बच्चों और बड़ों में अक्सर एक समय के बाद बड़ा बनने या स्थिति पर नियंत्रण स्थापित करने की लड़ाई होने लगती है। ऐसे में अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा अपने अनुभवों से संयम बरतना सीखे तो आप बच्चे को कुछ जिम्मेदारियां दें। दरअसल बड़ा होने का मतलब जिम्मेदारियों को पूरा करना भी है। अगर आपका बच्चा आपके साथ खेलना चाहता है और आप अभी किसी काम में व्यस्त हैं तो उसे किसी गैजेट के साथ खेलने को कहने से बेहतर है कि आप उसे घर को कोई काम करने को कहें। जैसे कि, ‘मैं अभी रसोई में काम कर रही हूं। अगर तुम चाहते हो कि मैं तुम्हारे साथ खेलूं तो तुम्हें भी थोड़ा काम करना होगा। क्यों न तुम तब तक बिस्तर को सही कर देते?’ आपकी इस बात से बच्चे को भी बड़ा और जिम्मेदार होने का अनुभव होगा और उसका ध्यान उस समय खेल के लिए आपकी अनुपस्थिति की जगह आपकी मदद करने पर होगा।
3. अपनी भूमिकाएं बदलें
बच्चों को आपकी स्थिति समझाने का सबसे बेहतर और कारगर तरीका है कि आप उनके साथ अपनी भूमिकाओं को बदल लें। आप कुछ समय के लिए बच्चा बन जाएं और उसे मम्मी या पापा बनने को कहें। अब उसके बाद उसे वैसा करके दिखाएं या उससे जिद्द करें, जैसा कुछ समय पहले बच्चा कर रहा था। जब बच्चा खुद को असहज या असहाय स्थिति में महसूस करेगा तो वह भी समझ जाएगा कि आप उस समय कैसा महसूस कर रहे थे, जब वह आपसे जिद्द कर रहा था।
4. मनोरंजन के सहारे बच्चों को सिखाएं
बच्चों को हर चीज कान पकड़ कर या डांट-डपटकर नहीं सिखाई जाती। आप बच्चे को मनोरंजन के सहारे भी संयम बरतना सिखा सकते हैं। ज्यादातर बोर्ड गेम्स इसमें आपकी मदद कर सकती हैं। क्योंकि बोर्ड गेम्स में हर खिलाड़ी को अपनी बारी आने का इंतजार करना पड़ता है। ऐसे में जब आप अपने परिवार के साथ खेलेंगे तो बच्चा किसी अन्य खिलाड़ी की जगह खुद नहीं चल सकता और जाने-अनजाने आप अपने बच्चे को संयम बरतना भी सिखा देंगे।
5. बच्चों को मदद करने वाले प्रॉप्स बनाएं
‘मम्मी मेरा बर्थडे और कितने दिनों में आएगा?’ ‘हम और कितनी देर में नानी के घर पहुंचेंगे?’ इस तरह के सवाल अक्सर बच्चे धैर्यहीन हो कर पूछते हैं और लगातार सवाल करने के कारण माता-पिता भी कई बार परेशान या चिड़चिड़े होने लगते हैं। बच्चा अभी खुद से हर चीज का आंकलन नहीं कर सकता। इसीलिए जरूरी है कि आप कुछ प्रॉप्स या फिर चीजों की मदद से बच्चे को उसके जन्मदिन में कितने दिन बाकी रहते हैं या फिर उसकी नानी का घर और कितनी दूर है, यह समझा सकते हैं।
इसके लिए आप बच्चे की आंखों के सामने कैलेंडर या फिर मोटे-मोटे अंकों में गिनती लिख सकते हैं और बच्चे को कह सकते हैं कि वह रोज आकर एक-एक दिन कर इन पर काटा लगाए और बच्चे हुए दिनों को गिने। और जब बात दूरी के बारे में बताने की हो तो आप बच्चे को बता सकते हैं कि जब तक आप अपनी कहानियों की किताब में से दो या तीन कहानियों को पढ़ लेंगे तो आपकी नानी का घर आ जाएगा। असल में बच्चे जिन चीजों को गिन सकते हैं, उन पर भरोसा करते हैं। लेकिन अगर आप कहेंगे कि अगले सप्ताह या दो सप्ताह बाद उनका जन्म दिन आएगा या फिर 40 मिनट लगेंगे नानी के घर पहुंचने में तो उनका गणित बिगड़ जाएगा।
बच्चों से ज्यादा समय के लिए संयम बनाए रखने की उम्मीद करना ही आपकी सबसे बड़ी भूल होगी। बच्चों को ज्यादा से ज्यादा 10 मिनट के लिए एक बार में किसी चीज से भटकाया जा सकता है। लेकिन हां, धीरे-धीरे बच्चों में संयम की आदत को विकसित किया जा सकता है कि जिसके लिए आप विभिन्न तकनीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो बच्चे और आपकी स्थिति पर निर्भर होंगी। बच्चों को बचपना करने दें और अगर वे थोड़ी देर बाद आपको दोबारा अपना प्रश्न दोहराएं तो इस बार आप बिना चिढ़े, बच्चे को कहें कि वाकई किसी भी चीज के लिए लंबा इंतजार करना आसान नहीं है, लेकिन अगर तुम्हें उस चीज का मजा लेना है तो हमारे पास इंतजार करने के अलावा और कोई रास्ता भी नहीं है।