11 टिप्स: आपके फैसले को कैसे मानेंगे बच्चे -11 Tips to Get Your Children to Respect Your Decision in hindi

By Editorial Team|6 - 7 mins read| July 26, 2020

कितना बुरा लगता है जब टीनएज बच्चा अपने माता-पिता को स्पष्ट शब्दों में किसी काम के लिए ‘न’ कर देता है या फिर आपके फैसलों पर ही उंगली उठाने लगता है। अक्सर बढ़ती उम्र के कुछ बच्चे अपने माता-पिता की बात को अनसुना कर देते हैं या फिर पलट कर सवाल-जवाब करते हैं। यहां तक कि कभी-कभी वे कड़े शब्दों में अपने माता-पिता की निंदा तक भी कर देते हैं। इसका मतलब यही लगाया जा सकता है कि आपके बच्चे में आपके प्रति सम्मान की भावना या तो नहीं है या फिर खत्म हो रही है।

आज के समय में बच्चों को मार-पीट कर या डरा-धमका कर उनके मन में अपने लिए डर नहीं बैठाया जा सकता। बल्कि जरूरत है कि आप उनकी और वो आपकी बात को न सिर्फ समझें, उसका सम्मान भी करें। और ये कैसे किया जा सकता है, आइए जानते हैं।

11 टिप्स ताकि बच्चे करें आपके निर्णय का सम्मान

अगर आप चाहते हैं कि बच्चे आपकी बात सुनें और आपके निर्णयों का सम्मान करें तो आपको भी कुछ ऐसा ही करना चाहिए:

1. अपने बच्चे को सम्मान दें

बच्चे हमसे ही सीखते हैं। आप जैसा बच्चों के साथ व्यवहार रखेंगे, वे उसे ही देखेंगे और उसका ही अनुसरण करेंगे। अगर आप चाहते हैं कि बच्चा आपकी बातों और फेसलों का सम्मान करे तो पहले आप उनकी बातें सुनें।

2. नियमों से ज्यादा रिश्तों पर दें ध्यान

बढ़ते बच्चों के सामने नियमों से नहीं, बल्कि संयम से काम लेना चाहिए। आपके लिए नियम अहम हैं या आपका बच्चे से रिश्ता? इस बात को ध्यान में रखते हुए हमेशा बच्चे से बात करें। आप जितना बच्चे के प्रति विनम्र भाषा का प्रयोग करेंगे, आपका बच्चा कभी भी आपकी बात को अनसुना करेगा ही नहीं।

3. अपनी बात का मोल रखें

बच्चे बड़ों के व्यवहार को बहुत बारीक से देखते हैं। आप क्या करते हैं, किससे बात करते हैं और क्या बात करते हैं। इन सबका भले बच्चे से कोई लेना-देना उस वक्त न हो, लेकिन बच्चे पर आपकी बात और व्यवहार का बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। जब वे देखते हैं कि आप दूसरों का सम्मान नहीं करते, तो वे आपका सम्मान कैसे करेंगे। इसीलिए आप जो बात बोलें उसका हमेशा मोल होना चाहिए। आप अपनी कही हुई बात से कभी भी डगमगाएं न।

4. बच्चे से अपनी बात साझा करें

बच्चों से जितना हम खुल कर अपनी बात को कहेंगे, उतना ही स्पष्ट और सटीक वे हमारी बात को समझ पाएंगे। अगर आप चाहते हैं कि बच्चा अपने दोस्तों के साथ बाहर न जाए, तो आप उसे बताएं कि आप ऐसा क्यों चाहते हैं। इसके पीछे क्या वजह है। जब बच्चे को आपके निर्णय के कारणों का पता चलेगा तो वे आपके निर्णयों को गलत नहीं ठहराएंगे।

5. बच्चों के साथ जिद्द न करें

कई बार ऐसी परिस्थितियां आती हैं कि माता-पिता और बच्चों में किसी मामले को लेकर काफी बहस हो जाती है। आमतौर पर ऐसी परिस्थिति से बचना ही बेहतर है। लेकिन अगर कभी यह स्थिति बन ही जाए तो आप इसमें बच्चे के साथ बच्चे न बनें, यानी अपनी बात को मनवाने के लिए जिद्द न करें। कई बार उस समय अपनी हार मान लेने से आप भविष्य में एक लंबी लड़ाई जीत जाएंगे।

6. बच्चे की जरूरत से ज्यादा आलोचना न करें

आपका बच्चा कैसा भी है, लेकिन उसकी आलोचना करते समय आपको ध्यान में रखना है कि इससे उसके दिमाग और मनोभावों पर क्या असर होगा। कई बार बच्चे माता-पिता का ध्यान आकर्षित करने के चलते भी नकारात्मकता को अपना लेते हैं। ऐसे में उनकी कड़ी आलोचना उन्हें आपसे दूर भी कर सकती है।

7. नियमों को बनाते समय बच्चे से करें बातचीत

टीनएज बच्चे छोटे नहीं होते, जो परिस्थितियों को समझ नहीं सकते। अगर आप बच्चे के लिए घर में आने-जाने, दोस्तों से बातचीत करनें या फिर बाहर मौज-मस्ती करने से संबंधित नियम बना रहे हों, तो उससे पहले एक बार बच्चे से जरूर बातचीत करें। उनसे लिए गए परामर्श और आपसी तालमेल के साथ बनाए नियमों को बच्चे पूरी तरह से निभाने की कोशिश करते हैं।

8. अच्छे काम की सराहना करें

जब तक बच्चा छोटा होता है, माता-पिता उसके हर काम के लिए उसकी सराहना करते हैं। लेकिन जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होने लगता है, माता-पिता कि बच्चे से अपेक्षाएं भी बढ़ने लगती हैं। उनके छोटे-छोटे प्रयासों की हम अनदेखी कर देते हैं, यही वजह है कि बच्चे भी हमारे फैसलों या बातों की अनदेखी करने से पीछे नहीं हटते।

9. गुस्से में न करें बातचीत

अगर आपको अपने बच्चे की कोई बात पसंद नहीं आई या बच्चा आपकी किसी बात को लेकर आपसे नाराज है, तो ऐसे में जरूरी है कि आप बच्चे से कुछ समय के लिए बातचीत न करें। दोनों ही पक्षों को एक-दूसरे को समय देना चाहिए ताकि वे एक-दूसरे के पक्ष को समझ और उस पर विचार कर सकें। गुस्से में आकर अक्सर हम ऐसी बात बोल देते हैं, जिसका कोई मतलब नहीं होता, लेकिन उसकी वजह से रिश्तों में तनाव जरूर बढ़ जाता है।

10. अपनी बात स्पष्ट कहें, लेकिन प्यार से

अगर आप बच्चे को किसी चीज के लिए मना कर रहे हैं, तो भी इस बात का ध्यान रहे कि आपने उसे मना करना है। जैसे कि आप नहीं चाहते कि आपका 13 साल का बच्चा रात के शो में अपने दोस्तों के साथ फिल्म देख कर आए। आप अपने बच्चे को इस बात के लिए साफ मना करें, लेकिन उसे प्यार से समझाएं भी कि आप नहीं चाहते कि उसे कोई नुकसान हो या वे दोस्तों के साथ अपने ही घर पर फिल्म देख सकता है।

11. अपने बच्चे के भावों को समझें

आमतौर पर जब भी माता-पिता अपने बच्चे को किसी बात के लिए डांटते हैं तो वे ये बात को मान लेते हैं कि मैं जानता हूं उसे इस वक्त कैसा लग रहा होगा। दरअसल आप ये जान ही नहीं सकते, क्योंकि आप उस बच्चे की जगह उस समय नहीं हैं। लेकिन हां, आप जानने का प्रयास कर सकते हैं। जब भी बच्चा किसी परेशानी में हो तो आप उसकी परेशानी की वजह को जानने का प्रयास करें। आमतौर पर टीनएज बच्चे भावुक होकर भी कई कारणों से अपने माता-पिता के साथ उलझते हैं, जबकि उनका ऐसा कोई इरादा नहीं होता।

बढ़ती उम्र के साथ बच्चों को सही दिशा देने के साथ-साथ उनकी निजता, सम्मान और प्यार सभी चीजें देने की जरूरत होती है। इससे वे आपसे दूर नहीं, बल्कि आपके साथ हमेशा अपने रिश्ते को मजबूत बनाए रखेंगे और आपकी बातों का सम्मान भी करेंगे।


TheParentZ provides Parenting Tips & Advice to parents.

About The Author:

Editorial Team

Last Updated: Sun Jul 26 2020

This disclaimer informs readers that the views, thoughts, and opinions expressed in the above blog/article text are the personal views of the author, and not necessarily reflect the views of The ParentZ. Any omission or errors are the author's and we do not assume any liability or responsibility for them.
Top